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बशीर बद्र की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Bashir Badr

Best Classical Sher of Urdu Poet Bashir Badr

Best-Shayari-of-Bashir-Badr

बशीर बद्र की प्रसिद्ध शायरी 


Best Shayari of Bashir Badr

 कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
 ये नए मिजाज का शहर है, जरा फ़ासले से मिला करो.


 अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा,
 तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो..


 इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं,
 तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं..


 उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं,
 ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं..


गले में उस के ख़ुदा की अजीब बरकत है,
वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है..


 कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा,
 मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है..


 कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर ये कैसी आवाज़ें,
 शायद मेरे दिल की धड़कन चुनी है इन दीवारों में..


 कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,
 यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता..


 न जी भर के देखा न कुछ बात की,
 बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की..


 तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा था,
 तुम्हारे बा'द ये मौसम बहुत सताएगा..


 बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना,
 जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता..


 भूल शायद बहुत बड़ी कर ली,
 दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली...


 अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा,
 मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा..


 इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक,
 आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं..


 दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है,
 जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है..


 मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना,
 यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है..


 पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा,
 हम जवाब क्या देते खो गए सवालों में..


 फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है,
 इस में तिरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है..


 मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा,
 आग से आग बुझा फूल खिला जाम उठा..


 मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है,
 कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता..


 लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में,
 तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में..


 हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है,
 जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा..


 मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला,
 अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला..


 परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता,
 किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता..


 अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया,
 जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया..

बशीर बद्र की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Bashir Badr

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