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जिगर मुरादाबादी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Jigar Moradabadi

Collection of Jigar Moradabadi - जिगर मुरादाबादी  शायरी 


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जिगर मुरादाबादी  की प्रसिद्ध शायरी 
जिगर मुरादाबादी  की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Jigar Moradabad

 मैं तो इस सादगी-ए-हुस्न पै सदके उसके,
 न जफा आती है जिसको न वफा आती है..


 इश्क की बर्बादियों को रायगां समझा था मैं,
 बस्तियाँ निकली, जिन्हे वीरानियाँ समझा था मैं..


 कभी उन मदभरी आंखों से दिया था शराब,
 आज तक होश नहीं, होश नहीं, होश नहीं..


 जिन्दगी पर डाल दी जिसने हकीकतबीं निगाह,
 जिन्दगी उसकी नजर में बेहकीकत हो गई..


 पहले शराब जीस्त थी, अब जीस्त है शराब,
 कोई पिला रहा है, पिए जा रहा हूँ मै..


 कांटों का भी हक है आखिर,
 कौन छुड़ाए दामन अपना..


 अरबाबे-सितम की खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी,
 दुनिया से कयामत दूर सही, दुनिया की कयामत दूर नहीं..


 तुम मुझसे छूटकर भी रहे सबकी निगाह में,
 मैं तुमसे छूटकर किसी काबिल नहीं रहा..


 फूल खिलते हैं गुलशन-गुलशन,
 किन अपना – अपना दामन..


 यह मिसरा काश नक्शे-हर-दरो-दीवार हो जाये,
 जिसे जीना हो, मरने के लिये तैयार हो जाये..


 सकूँ है मौत यहाँ जौके-जुस्तजू के लिये,
 यह तिश्नगी वह नहीं है जो बुझाई जाती है..


 गुम हो गया हूँ, बज्मे – तमन्ना में आके मैं,
 किस-किस पे जान दीजिए, किस-किस को चाहिए..


 रग-रग में इस तरह वो समा कर चले गये,
 जैसे मुझ ही को मुझसे चुराकर चले गये..


 इश्क को बेनकाब होना था,
 आप अपना जवाब होना था..


 मोहब्बत में क्या-क्या मुक़ाम आ रहे हैं,
 कि मंजिल पे हैं और चले जा रहे हैं..


 सदाकत हो तो दिल सीनों से खिंचने लगते हैं वाइज,
 हकीकत खुद को मनवा लेती है मानी नहीं जाती..


 यारब हुजूमे-दर्द को दे और वुसअतें,
 दामन तो क्या अभी मेरी आंखें भी नम नहीं..


 सब जिसको असीरी कहते हैं वह है तो असीरी ही लेकिन,
 वह कौन-सी आजादी है यहाँ, जो आप खुद अपना दाम नहीं..


 फूल खिले हैं गुलशन गुलशन,
 लेकिन अपना अपना दामन..


 मुहब्बत में हम तो जिए हैं जिएंगे,
 वो होंगे कोई और मर जाने वाले..


 यही हुस्नो-इश्क का राज है कोई राज इसके सिवा नहीं,
 जो खुदा नहीं तो खुदी नही, जो खुदी नहीं तो खुदा नहीं..


 ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे,
 एक आग का दरिया है और डूब के जाना है..


 फलक के जोर जमाने के गम उठाए हुए हैं,
 हमें बहुत न सताओ कि हम सताए हुए हैं..


 फूल वही, चमन वही, फर्क नजर – नजर का है,
 अहदे-बहार में क्या था, दौरे-खिजाँ में क्या नहीं..


 वह भी है इक मुकामे – इश्क,
 जहाँ हर तमन्ना गुनाह होती है..

जिगर मुरादाबादी  की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Jigar Moradabadi 


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