Juganu Hawa Men Leke Ujale Nikal Pade - Fayyaz Farooqi
जुगनू हवा में ले के उजाले निकल पड़े
जुगनू हवा में ले के उजाले निकल पड़े - फ़य्याज़ फ़ारुक़ी |
जुगनू हवा में ले के उजाले निकल पड़े
यूँ तीरगी से लड़ने जियाले निकल पड़े
सच बोलना मुहाल था इतना कि एक दिन
सूरज की भी ज़बान पे छाले निकल पड़े
इतना न सोच मुझ को ज़रा देख आईना
आँखों के गिर्द हल्क़े भी काले निकल पड़े
महफ़िल में सब के बीच था ज़िक्र-ए-बहार कल
फिर जाने कैसे तेरे हवाले निकल पड़े
- फ़य्याज़ फ़ारुक़ी
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