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फूल तो फूल हैं, पत्ते भी नहीं रुकते हैं - सलमान ज़फ़र


Phool To Pool Hai Patte Bhi Nahi Rukate Salman Zafar

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फूल तो फूल हैं, पत्ते भी नहीं रुकते हैं - सलमान ज़फ़र


फूल तो फूल हैं, पत्ते भी नहीं रुकते हैं !
सूखी शाख़ों पे परिंदे भी नहीं रुकते है !

जिनको चाहा था कभी चाँद सितारों की तरह,
अब तो आंगन में वो बच्चे भी नहीं रुकते हैं !

मेरा दिल, जैसे कि बारिश में पुराना छप्पर,
इस लिए अब यहाँ सदमे भी नहीं रुकते हैं !

पाप और पुन्य में इस तरह से उलझा हूँ कि अब,
मेरे कांधों पे फ़रिश्ते भी नहीं रुकते हैं।

मेरे हालात का अंदाज़ा ज़रा यूँ  भी करो,
घर में अब ख़ून के रिश्ते भी नहीं रुकते है !

जिनमे रहते हों मोहब्बत के, वफ़ा के दुश्मन,
ऐसी गलियों में तो कुत्ते भी नहीं रुकते हैं !


  • (सलमान ज़फ़र)

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