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कसम खुदा की हूँ उनसे ही प्यार करते हैं - जौहर कानपुरी -

Jauhar-Kanpuri
सम खुदा की हूँ उनसे ही प्यार करते हैं 


कसम खुदा की हूँ उनसे ही प्यार करते हैं ।
जो दिल के तीर से दिल का शिकार करते हैं।
मज़ा तो जब है मिलो मौत से भी खुश हो कर 
ज़िन्दगी से तो कुत्ते भी प्यार करते है।


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सहर के फूल अपने रात की रानी हमारी थी
ये वही सर ज़मी है जिस पे सुल्तानी हमारी थी
किसी आतंकवादी संगठन का सर नहीं उठा 
हुदूदे मुल्क में जब तक निगेबानी हमारी थी।

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जब से उसके सेहन दीवार ऊँची हो गयी 
भाई की आवाज़ भी ए यार ऊँची हो गयी ।
जब से हुवा भाई के दरमियाँ इख्तलाफ
दुश्मनों के हाथ की तलवार ऊँची हो गयी ।

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समझ में कुछ नहीं आता यकीं किस पे किया जाये 
गला तो भाई भी दुश्मन से मिलकर काट लेता है 
और बुलंदी पर पहुचने की दुआ किस के लिए मांगू
जिसे सर पे बैठाता हूँ वही सर काट लेता है।

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  • जौहर कानपुरी

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