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नुमायाँ जब वो अपने ज़ेहन की तस्वीर करता है - अबरार किरतपुरी

Numayan-Jab-Wo-Apane-Zehan-Ki-Abrar-Kiratpuri
नुमायाँ जब वो अपने ज़ेहन की तस्वीर करता है  - अबरार किरतपुरी

नुमायाँ जब वो अपने ज़ेहन की तस्वीर करता है 
हर इक अहल-ए-मोहब्बत को बहुत दिल-गीर करता है 

वो क्यूँ मसरूर होता है हमारा ख़ून बहने से
सर-ए-हक़ किस लिए ज़ालिम तह-ए-शमशीर करता है 

वफ़ा का नाम लेता है वफ़ा-ना-आश्ना हो कर
वो ख़ुद को इंतिहाई पारसा ताबीर करता है 

जिसे महरूम होना है वही है मुतमइन यारो
जो है नुसरत का तालिब हर क़दम तदबीर करता है 

हर इक इंसान के आमाल भी यकसाँ नहीं होते
कोई घर तोड़ देता है कोई तामीर करता है 

सदाक़त पर कभी उन का असर होने नहीं पाता
वो अपने कारनामों की बहुत तश्हीर करता है 

कोई भी मसअला 'अबरार' हल होने नहीं पाता
मसाइल वो हमारे सूरत-ए-कश्मीर करता है 

  • Numayan Jab Wo Apane Zehan Ki Tasveer Karata Hai - Ghazals of  Abrar Kiratpuri

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