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चाँद पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Chaand Shyari


चाँद पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Chaand Shyari


Collection-OF-Chaand-Shyari

चाँद पर बनी शायरी का संग्रह




मुझ को मालूम है महबूब-परस्ती का अज़ाब
देर से चाँद निकलना भी ग़लत लगता है

अहमद कमाल परवाज़ी

वो रातें चाँद के साथ गईं वो बातें चाँद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो

इब्न-ए-इंशा

इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद

परवीन शाकिर

आसमान और ज़मीं का है तफ़ावुत हर-चंद
ऐ सनम दूर ही से चाँद सा मुखड़ा दिखला

हैदर अली आतिश

हम-सफ़र हो तो कोई अपना-सा
चाँद के साथ चलोगे कब तक

शोहरत बुख़ारी 

चाँद का हुस्न भी ज़मीन से है
चाँद पर चाँदनी नहीं होती

इब्न-ए-सफ़ी

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं

फ़रहत एहसास

फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद

पंडित जवाहर नाथ साक़ी

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा

इफ़्तिख़ार नसीम

चाँद पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Chaand Shyari

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