Ye Dil Ye Pagal Dil Mera Kyon Bujh Gaya Aawargi
Ye Dil Ye Pagal Dil Mera Kyon Bujh Gaya Aawargi
अंदाज़ अपने देखते हैं आईने में वो
और ये भी देखते हैं कि कोई देखता न हो।
ये दिल ये पागल दिल मेरा, क्यों भुज गया आवारगी
इस दश्त में इक शहर था, वो क्या हुआ, आवारगी
कल शब् मुझे बेशक्ल सी, आवाज़ ने चौंका दिए
मैंने कहा तू कौन है, उसने कहा आवारगी
इक तू की सदियों से मेरा, हमराह भी हमराज़ भी
इक मैं की तेरे नाम से ना-आशना, आवारगी
ये दर्द की तनहाइयां, ये दश्त का वीरान सफ़र
हम लोग तो उकता गए, अपनी सूना आवारगी
इक अजनबी झोंके ने जब, पूछा मेरे ग़म का सबब
सहरा की बीगी रेत पर, मैंने लिखा आवारगी
ले अब तो दश-इ-शब की, साड़ी वुसातें सोने लगीं
अब जागना होगा हमें, कब तक बता आवारगी
कल रात तनहा चाँद को, देखा था मैंने ख्वाब में
‘मोहसिन’ मुझे रास आएगी शायद सदा आवारगी
ये दिल ये पागल दिल मेरा, क्यों भुज गया आवारगी
is dasht mein ik shahar tha vo kya hua aawargi
kal shab mujhe be-shakl ki aawaaz ne chaunka diya
main ne kaha tu kaun hai usne kahaa aawargi
yeh dard ki tanhhaiyan yeh dasht ka veran safar
hum log to uqtaa gaye apni suna aawargi
loagon bhala us shehar kaise jeyain hum
jahan ho jurm tanha sochna lekin saza awargi
ik ajnabi jhonke ne jab pucha mere gam ka sabab
sahara ki bheegi rait par main ne likha aawargi
kal ratt tanha chand ko dekha tha main ne khawab main
mohsin mujhay rass aye gi shayad sada aawargi
Ye Dil Ye Pagal Dil Mera Kyon Bujh Gaya Aawargi
- Lyrics : Mohsin Naqvi
- Gulam Ali
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