बड़े जतन से बड़े सोच से उतारा गया - ख़ालिद मलिक ‘साहिल’
Bade Jatan Se Bade Soch Se Utara Gaya - Ghazals of Khalid Malik Sahil
बड़े जतन से बड़े सोच से उतारा गया - ख़ालिद मलिक ‘साहिल’ |
बड़े जतन से बड़े सोच से उतारा गया,
मिरा सितारा सर-ए-ख़ाक भी सँवारा गया.
मिरी वफ़ा ने जुनूँ का हिसाब देना था,
सो आज मुझ को बयाबान से पुकारा गया.
बस एक ख़ौफ़ था ज़िंदा तिरी जुदाई का,
मिरा वो आख़िरी दुश्मन भी आज मारा गया.
मुझे यक़ीन था इस तज-रबे से पहले भी,
सुना है ग़ैर से जल्वा नहीं सहारा गया.
सजा दिया है तसव्वुर ने धूप का मंज़र,
अगरचे बर्फ़ की तस्वीर से गुज़ारा गया.
मिला है ख़ाक से निस्बत का फिर सिला मुझ को,
मिरा ही नाम है गर्दूं से जो पुकारा गया.
मैं देखता रहा दुनिया को दूर से ‘साहिल’,
मिरे मकान से आगे तलक किनारा गया.
- ख़ालिद मलिक ‘साहिल’
कोई टिप्पणी नहीं: