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कैैफी आज़मी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Kaifi Azmi

Best Classical Sher of Urdu Poet Kaifi Azmi

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कैैफी आज़मी की प्रसिद्ध शायरी 

कैैफी आज़मी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Kaifi Azmi 

 पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था,
 जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा..


 बस्ती में अपने हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए,
 इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए..


 इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी,
 जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में..


 कोई तो सूद चुकाए, कोई तो जिम्मा ले,
 उस इंक़िलाब का जो आज तक उधार सा है..


 अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ,
 वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं..


 इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं,
 दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद..


 झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं,
 दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं..


 बहार आए तो मेरा सलाम कह देना,
 मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने..


 रहें न रिंद ये वाइज़ के बस की बात नहीं,
 तमाम शहर है दो चार दस की बात नहीं..


 क्या जाने किसी की प्यास बुझाने किधर गयीं,
 उस सर पे झूम के जो घटाएँ गुज़र गयीं..


 बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में,
 कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में..


 बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें,
 मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले..


 मुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह,
 जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े..


 मैं ढूंढता हूँ जिसे वह जहाँ नहीं मिलता,
 नई ज़मीं नया आसमां नहीं मिलता..



 गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो,
 डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ..


 जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क,
 यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े..


 वक्त ने किया क्या हंसी सितम,
 तुम रहे न तुम, हम रहे न हम..


 ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई उस की धूप,
 क़द्र-ए-वतन हुई हमें तर्क-ए-वतन के बाद..


 बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में,
 वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में..


 जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ,
 मुझे खुद अपने कदम का निशाँ नहीं मिलता..


कैैफी आज़मी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Kaifi Azmi 

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