इस वास्ते दामन चाक किया शायद ये जुनूँ काम आ जाए - अनवर मिर्जापुरी
Is Waste Daman Chaak Kiya Shayad Ye Junoon Kaam Aa Jaye. Anwar Mirzapuri
इस वास्ते दामन चाक किया शायद ये जुनूँ काम आ जाए - अनवर मिर्जापुरी |
दीवाना समझ कर ही उन के होंटों पे मेरा नाम आ जाए.
मैं ख़ुश हूँ अगर गुलशन के लिए कुछ लहू काम आ जाए,
लेकिन मुझ को डर है इस गुल-चीं पे न इल्ज़ाम आ जाए.
ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए,
इक चाँद फलक पर निकला हो इक चाँद सर-ए-शाम आ जाए.
मय-ख़ाना सलामत रह जाए इस की तो किसी को फ़िक्र नहीं,
मय-ख़्वार हैं बस इस ख़्वाहिश में साक़ी पे कुछ इल्ज़ाम आ जाए.
पीने का सलीका कुछ भी नहीं इस पर है ये ख़्वाहिश है रिंदों की,
जिस जाम पे हक़ है साकी का हाथों में वही जाम आ जाए.
इस वास्ते ख़ाक-ए-परवाना पर शमा बहाती है आँसू,
मुमकिन है वफ़ा के क़िस्से में उस का भी कहीं नाम आ जाए.
अफ़्साना मुकम्मल है लेकिन अफ़्साने का उनवाँ कुछ भी नहीं,
ऐ मौत बस इतनी मोहलत दे उन का कोई पैग़ाम आ जाए.
- Anwar Mirzapuri
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