तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं - ख़ुमार बाराबंकवी
Tere Dar Se Uthkar Jidhar Jau Main - Khumar Barabankvi
तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं - ख़ुमार बाराबंकवी |
तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं
चलूँ दो कदम और ठहर जाऊं मैं
अगर तू ख़फा हो तो परवा नहीं
तेरा गम ख़फा हो तो मर जाऊं मैं
तब्बसुम ने इतना डसा है मुझे
कली मुस्कुराए तो डर जाऊं मैं
सम्भाले तो हूँ खुदको, तुझ बिन मगर
जो छू ले कोई तो बिखर जाऊं मैं
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