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साहिर लुधियानवी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Sahir Ludhianvi


Best Classical Sher of Urdu Poet Sahir Ludhianvi 


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साहिर लुधियानवी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Sahir Ludhianvi 
साहिर लुधियानवी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Sahir Ludhianvi 



अपनी तबाहियों का मुझे कोई गम नहीं
तुमने किसी के साथ मुहब्बत निभा तो दी



कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया



तुम मुझे भूल भी जाओ तो यह हक है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है



फिर न कीजे मेरी गुस्ताख निगाहों का गिला
देखिये अपने फिर प्यार से देखा मुझको



उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा सहारा है
गर हौसला है तो हर मौज में किनारा है



तंग आ चुके हैं कशमकशे-जिन्दगी से हम
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बेदिली से हम



ले दे के फकत अपने पास इक नज़र तो है
क्यूँ देखे ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम



बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदों
बहुत दुःख सह लिए मैंने बहुत दिन जी लिया मैंने



वैसे तो तुम्ही ने मुझे बर्बाद किया है
इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा



अभी जिन्दा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ खल्वत में
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने



लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी किसी से गिला न करेंगे हम



ज़िन्दगी एक सुलगती सी चिता है “साहिर”
शोला बनती है ना ये बुझ के धुआँ होती है



नई दुनिया में कुछ बीते दिनों के भी निशाँ होंगे
अजाइबखानों में रखेंगे, दीनों को ईमानों को



इस तरह ज़िन्दगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से



तुझ को खबर नहीं मगर इक सादा-लौह को
बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने



किस दर्ज़ा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िन्दगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके



कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है



किस लुत्फ़ से झुंझला के वो कहते हैं शब-ए-वस्ल
ज़ालिम तेरी आँखों से गयी नींद किधर आज



हमीं से रंगे-गुलिस्तां, हमीं से रंगे-बहार
हमीं को नज्मे-गुलिस्तां पर इख्तियार नहीं।



अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिन्द गिरते गिरते कहीं फिर संभल न जाए



मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए
अपनों से पेश आए है बेगानगी से हम



चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ



उनके रुखसार पर ढलकते हुए आँसू तौबा
मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा



ऐ गमे-दुनिया तुझे क्या इल्म तेरे वास्ते
किन बहानों से तबिअत राह पे लाई गई



लो आज हमने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम




साहिर लुधियानवी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Sahir Ludhianvi 


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