आग बहते हुए पानी में लगाने आई - अंजुम रहबर
Aag Bhate Huye Paani Me Lagane Ayi - Ghazals of Anjum Rehbar
Aag Bhate Huye Paani Me Lagane Ayi - Ghazals of Anjum Rehbar
आग बहते हुए पानी में लगाने आई - अंजुम रहबर |
आग बहते हुए पानी में लगाने आई
तेरे ख़त आज मैं दरिया में बहाने आई
फिर तिरी याद नए ख़्वाब दिखाने आई
चाँदनी झील के पानी में नहाने आई
दिन सहेली की तरह साथ रहा आँगन में
रात दुश्मन की तरह जान जलाने आई
मैं ने भी देख लिया आज उसे ग़ैर के साथ
अब कहीं जा के मिरी अक़्ल ठिकाने आई
ज़िंदगी तो किसी रहज़न की तरह थी 'अंजुम'
मौत रहबर की तरह राह दिखाने आई
- Aag Bhate Huye Paani Me Lagane Ayi - Ghazals of Anjum Rehbar
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