Baat Jab Dosti Ki Aati Hai. Ghazals of Khumar Barabankavi
बात जब दोस्तों की आती है - ख़ुमार बाराबंकवी |
दोस्ती काँप काँप जाती है
मुझ से ऐ दोस्त फिर ख़फ़ा हो जा
इश्क़ को नींद आई जाती है
अब क़यामत से क्या डरे कोई
अब क़यामत तो रोज़ आती है
भागता हूँ मैं ज़िंदगी से 'ख़ुमार'
और ये नागिन डसे ही जाती है
- बात जब दोस्तों की आती है - ख़ुमार बाराबंकवी
कोई टिप्पणी नहीं: