लोकप्रिय शराब पर बनी शायरी का संग्रह - Collection Of Sharab Shayari
लोकप्रिय शराब पर बनी शायरी का संग्रह - Sharab Shayari |
अब्दुल हमीद अदम
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शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए ये मुस्कुराती हुई चीज़ मुस्कुरा के पिला. |
मिर्ज़ा ग़ालिब
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पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे. |
फ़िराक़ गोरखपुरी
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आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़' जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए. |
निदा फ़ाज़ली
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कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई. |
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
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ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूँ क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया. |
मिर्ज़ा ग़ालिब
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'ग़ालिब' छुटी शराब पर अब भी कभी कभी पीता हूँ रोज़-ए-अब्र ओ शब-ए-माहताब में. |
दिवाकर राही
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अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में. |
जिगर मुरादाबादी
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पहले शराब ज़ीस्त थी अब ज़ीस्त है शराब कोई पिला रहा है पिए जा रहा हूँ मैं. |
दाग़ देहलवी
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साक़िया तिश्नगी की ताब नहीं ज़हर दे दे अगर शराब नहीं. |
जिगर मुरादाबादी
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ऐ मोहतसिब न फेंक मिरे मोहतसिब न फेंक ज़ालिम शराब है अरे ज़ालिम शराब है. |
मत फेर बहते पानी मे उंगलियाँ सारा दरिया शराब हो जाएगा. |
शराब सिगरेट मोहब्बत और तुम, अब सभी बुरी आदतें छोड़ दी मैंने. |
न जख्म भरे, न शराब सहारा हुई... न वो वापस लौटे, न मोहब्बत दोबारा हुई. |
तेरी आँखों की तौहीन नहीं तो और क्या है ये, मैंने देखा, तेरे चाहने वाले कल शराब पी रहे थे. |
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