उम्मीद पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Ummeed Shyari
उम्मीद पर बनी शायरी का संग्रह |
तुम कहाँ
वस्ल कहाँ वस्ल की उम्मीद कहाँ
दिल के
बहकाने को इक बात बना रखी है
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आग़ा शाएर क़ज़लबाश
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किस से
उम्मीद करें कोई इलाज-ए-दिल की
चारागर
भी तो बहुत दर्द का मारा निकला
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लुत्फ़ुर्रहमान
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कहते हैं
कि उम्मीद पे जीता है ज़माना
वो क्या
करे जिस को कोई उम्मीद नहीं हो
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आसी उल्दनी
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एक चराग़
और एक किताब और एक उम्मीद असासा
उस के बा'द तो जो कुछ है वो सब अफ़्साना है
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इफ़्तिख़ार आरिफ़
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कुछ कटी
हिम्मत-ए-सवाल में उम्र
कुछ उमीद-ए-जवाब
में गुज़री
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फ़ानी बदायुनी
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उम्मीद
तो बंध जाती तस्कीन तो हो जाती
वा'दा न वफ़ा करते वा'दा तो किया होता
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चराग़ हसन हसरत
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मैं अब
किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँ
मुझे किसी
पे भी अब कोई ए'तिबार नहीं
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जव्वाद शैख़
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तर्क-ए-उम्मीद
बस की बात नहीं
वर्ना उम्मीद
कब बर आई है
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फ़ानी बदायुनी
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बस अब तो
दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
बहुत दुख
सह लिए मैं ने बहुत दिन जी लिया मैं ने
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साहिर लुधियानवी
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इसी उम्मीद
पर तो जी रहे हैं हिज्र के मारे
कभी तो
रुख़ से उट्ठेगी नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
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हाशिम अली ख़ाँ दिलाज़ाक
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उम्मीद पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Ummeed Shyari
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