Collection Of Sham Shayari
लोकप्रिय शाम पर बनी शायरी का संग्रह |
अब तो चुप-चाप
शाम आती है
पहले चिड़ियों
के शोर होते थे
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मोहम्मद अल्वी
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बस एक शाम
का हर शाम इंतिज़ार रहा
मगर वो
शाम किसी शाम भी नहीं आई
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अजमल सिराज
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घर की वहशत
से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ
शाम होती
है तो घर जाने को जी चाहता है
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इफ़्तिख़ार आरिफ़
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कब धूप
चली शाम ढली किस को ख़बर है
इक उम्र
से मैं अपने ही साए में खड़ा हूँ
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अख़्तर होशियारपुरी
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नई सुब्ह
पर नज़र है मगर आह ये भी डर है
ये सहर
भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे
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शकील बदायुनी
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तुम्हारे
शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक
शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
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क़ैसर-उल जाफ़री
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गुज़र गई
है मगर रोज़ याद आती है
वो एक शाम
जिसे भूलने की हसरत है
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ज़ीशान साहिल
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न उदास
हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
कई साल
ब'अद मिले हैं हम तेरे नाम आज की शाम है
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बशीर बद्र
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हम बहुत
दूर निकल आए हैं चलते चलते
अब ठहर
जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते
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इक़बाल अज़ीम
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मैं तमाम
दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ
ज़रा ठहर
जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ
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बशीर बद्र
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