अगर मैं उन की निगाहों से गिर गया होता - 'दानिश' अलीगढ़ी
Agar Main Un Ki Nigaahon Se Gir Gayaa Hotaa Ghazals of Danish Aligarhi
अगर मैं उन की निगाहों से गिर गया होता
तो आज अपनी नज़र से उतर गया होता
तेरे फ़िराक़ ने की ज़िंदगी अता मुझ को
तेरा विसाल जो मिलता तो मर गया होता
जो तुम ने प्यार से आवाज़ मुझ को दी होती
रह-ए-हयात से हँस कर गुज़र गया होता
जो झूट-मूट ही तुम मुझ को अपना कह देते
तो मेरे प्यार का हर क़र्ज़ उतर गया होता
जो इक निगाह-ए-करम उन की पड़ती ऐ 'दानिश'
तो मेरा बिगड़ा मुक़द्दर सँवर गया होता.
- 'दानिश' अलीगढ़ी
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