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Collection OF Bahaar Shyari


बहार पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Bahaar Shyari


Collection-OF-Bahaar-Shyari

बहार पर बनी शायरी का संग्रह 



ग़ुरूर से जो ज़मीं पर क़दम नहीं रखती
ये किस गली से नसीम-ए-बहार आती है

जलील मानिकपूरी

आमद आमद है ख़िज़ाँ की जाने वाली है बहार
रोते हैं गुलज़ार के दर बाग़बाँ खोले हुए

तअशशुक़ लखनवी

आज का ख़त ही उसे भेजा है कोरा लेकिन
आज का ख़त ही अधूरा नहीं लिख्खा मैं ने

हामिद मुख़्तार हामिद

आएँगे वक़्त-ए-ख़िज़ाँ छोड़ दे आई है बहार
ले ले सय्याद क़सम रख दे गुलिस्ताँ सर पर

ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी

गई बहार मगर अपनी बे-ख़ुदी है वही
समझ रहा हूँ कि अब तक बहार बाक़ी है

मुबारक अज़ीमाबादी

बहार आई कि दिन होली के आए
गुलों में रंग खेला जा रहा है

जलील मानिकपूरी

ख़ुशी के फूल खिले थे तुम्हारे साथ कभी
फिर इस के ब'अद न आया बहार का मौसम

सलाम संदेलवी

अपने दामन में एक तार नहीं
और सारी बहार बाक़ी है

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

आज है वो बहार का मौसम
फूल तोड़ूँ तो हाथ जाम आए

जलील मानिकपूरी

बहार आए तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने

कैफ़ी आज़मी

बहार पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Bahaar Shyari

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