ग़मों की रहगुज़र में हमसफ़र मुश्किल से मिलता है - वासिफ़ फ़ारूक़ी
Gamo Ki Rahguzar Me Hamsafar Mushkil Se Milata Hain Wasif Farooqui
ग़मों की रहगुज़र में हमसफ़र मुश्किल से मिलता है - वासिफ़ फ़ारूक़ी |
ग़मों की रहगुज़र में हमसफ़र मुश्किल से मिलता है, अगर मिल भी गया तो मोतबर मुश्किल से मिलता है !
बहुत आसान होता है किसी को दोस्त कह देना,हक़ीक़ी दोस्त दुनिया में मगर मुश्किल से मिलता है !
बनाने को बना लेते हैं सब दीवार ओ दर, लेकिन,सुकूँ जिस घर में मिलता हो वो घर मुश्किल से मिलता है !
गुज़रता है बड़ी तब्दीलियों के साथ हर लम्हा,कि मौसम एक सा शाम ओ सहर मुश्किल से मिलता है !
महाज़ ए इश्क़ पर जाते हुए यह ज़हन में रखना,मोहब्बत में दुआओं को असर मुश्किल से मिलता है !
सभी की आँख में आंसू नहीं आते निदामत के,कि हर दहन ए सदफ़ को इक गुहर मुश्किल से मिलता है !
मुक़द्दर में सभी के सरबुलंदी भी नहीं होती,ख़ुदा की राह में नेज़ों पे सर मुश्किल से मिलता है !
यह बस लफ़्ज़ ओ बयां का खेल ही होता नहीं वासिफ़,ग़ज़ल कहने का शायर को हुनर मुश्किल से मिलता है !
- Wasif Farooqui
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