दाग़ देहलवी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Daagh Dehlvi
Best Classical Sher of Urdu Poet Daagh Dehlvi
दाग़ देहलवी की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Daagh Dehlvi |
सबक़ ऐसा पढ़ा दिया तू ने, दिल से सब कुछ भुला दिया तू ने.
आप का ए'तिबार कौन करे, रोज़ का इंतिज़ार कौन करे.
हुआ है चार सज्दों पर ये दावा ज़ाहिदो तुम को, ख़ुदा ने क्या तुम्हारे हाथ जन्नत बेच डाली है.
आप पछताएँ नहीं जौर से तौबा न करें, आप के सर की क़सम 'दाग़' का हाल अच्छा है.
एक तो हुस्न बला, उस पे बनावट आफत, घर बिगाड़ेंगे हजारों के, संवरने वाले.
मिलाते हो उसी को खाक में, जो दिल से मिलता है, मेरी जां चाहने वाला, बड़ी मुश्किल से मिलता है.
बारहा उसने सफाई हमसे की, कुछ खलिश हर बार बाकी रह गई.
खुदा जब दोस्त है ऐ दाग, क्या दुश्मन से अंदेशा, हमारा कुछ किसी की दुश्मनी से हो नहीं सकता..
तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते, अगर अपनी जिन्दगी पर हमें एतबार होता.
आशिकी से मिलेगा ऐ जाहिद, बंदगी से खुदा नहीं मिलता.
इतनी भी अच्छी नहीं बेकरारी, अब आप से उन्स कम करेंगे.
अब उतर आये हैं वह तारीफ पर, हम जो आदी हो गये दुश्नाम के.
दाग दुशमन से भी झुककर मिलिए, कुछ अजीब चीज है मिलनसारी.
दिल चुराकर आप तो बैठे हुए हैं चैन से, ढूढ़ने वाले से पूछे कोई क्या जाता रहा.
वही हम थे कि रोतों को हंसा देते थे, वही हम हैं कि थमता नहीं आँसू अपना.
हसरत से उस कूचे को क्यों कर न देखिये, अपना भी इस चमन में कभी आशियाना था.
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