तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - जगजीत सिंह - कैफ़ी आज़मी - ग़ज़ल लिरिक्स
Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho Kya Gham Hai Jisako Chhupa Rahe Ho - Jagjit Singh - Kaifi Azmi - Ghazal -Lyrics
Album/Movie: अर्थ (1983)
Music By: जगजीत सिंह, चित्रा सिंह
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: जगजीत सिंह
Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho - Jagjit Singh - Kaifi Azmi - Ghazal -Lyrics |
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो
आँखों में नमी, हँसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो
क्या गम है जिसको...
बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पिए जा रहे हो
क्या गम है जिसको...
जिन ज़ख्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो
क्या गम है जिसको...
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो
क्या गम है जिसको...
कोई टिप्पणी नहीं: