गुलज़ार की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Gulzar
Best Classical Sher of Urdu Poet Gulzar
गुलज़ार की प्रसिद्ध शायरी - Best Shayari of Gulzar |
सहमा सहमा डरा सा रहता है, जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है. |
जब भी ये दिल उदास होता है जाने कौन आस-पास होता है |
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़ किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे |
फिर वहीं लौट के जाना होगा यार ने कैसी रिहाई दी है |
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर आदत इस की भी आदमी सी है |
देर से गूँजते हैं सन्नाटे जैसे हम को पुकारता है कोई. |
आँखों के पोछने से लगा आग का पता यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ. |
आदतन तुम ने कर दिए वादे आदतन हम ने ए'तिबार किया. |
चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई, कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआँ. |
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ उस ने सदियों की जुदाई दी है. |
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं, सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं. |
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है, किस की आहट सुनता हूँ वीराने में. |
सहमा सहमा डरा सा रहता है, जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है. |
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा. |
आइना देख कर तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई. |
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है. ने हर करवट सोने की कोशिश की, |
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, क पुराना ख़त खोला अनजाने में. |
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है. ज़िंदगी एक नज़्म लगती है, |
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं, ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं. |
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते. |
रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे. धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में, |
मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को, गर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है. |
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं. ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं, |
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