Ghazal

[Ghazal][bleft]

Sher On Topics

[Sher On Topics][bsummary]

Women Poets

[Women Poets][twocolumns]

लोकप्रिय ग़म पर बनी शायरी का संग्रह - Collection Of Gham Shayari

 ग़म शायरी  Collection Of Gham Shayari 
Collection-Of-Gham-Shayari
लोकप्रिय ग़म पर बनी शायरी का संग्रह  - Collection Of Gham Shayari 


अलीम अख़्तर

 वो तअल्लुक़ है तिरे ग़म से कि अल्लाह अल्लाह,
 हम को हासिल हो ख़ुशी भी तो गवारा न करें.

फ़ाज़िल जमीली

सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना है
 तिरी ख़ुशी के लिए तेरा ग़म भी रखना है. 

जौन एलिया

 सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
 और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं.

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

 हम ने तुम्हारे ग़म को हक़ीक़त बना दिया
 तुम ने हमारे ग़म के फ़साने बनाए हैं.

वहीद क़ुरैशी

 हम आज राह-ए-तमन्ना में जी को हार आए
 न दर्द-ओ-ग़म का भरोसा रहा न दुनिया का.

चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी

 हाए कितना लतीफ़ है वो ग़म
 जिस ने बख़्शा है ज़िंदगी का शुऊर. 

मुबारक अज़ीमाबादी

 ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ
 ग़म को ख़ुशी बना कोई पहलू निकाल के.

हिमायत अली शाएर

 फिर मिरी आस बढ़ा कर मुझे मायूस न कर
 हासिल-ए-ग़म को ख़ुदा-रा ग़म-ए-हासिल न बना. 

अहसन मारहरवी

मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है.

असर अकबराबादी

 फ़िक्र-ए-जहान दर्द-ए-मोहब्बत फ़िराक़-ए-यार
 क्या कहिए कितने ग़म हैं मिरी ज़िंदगी के साथ.

जलील मानिकपूरी

 बहर-ए-ग़म से पार होने के लिए
 मौत को साहिल बनाया जाएगा. 

एजाज़ अंसारी

 ज़िंदगी दी हिसाब से उस ने
 और ग़म बे-हिसाब लिक्खा है.

अबु मोहम्मद सहर

 तकमील-ए-आरज़ू से भी होता है ग़म कभी
 ऐसी दुआ न माँग जिसे बद-दुआ कहें.

असद भोपाली

 न आया ग़म भी मोहब्बत में साज़गार मुझे
 वो ख़ुद तड़प गए देखा जो बे-क़रार मुझे. 

मिर्ज़ा ग़ालिब  

 ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
 शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक.

सलीम अहमद

 दुख दे या रुस्वाई दे
 ग़म को मिरे गहराई दे.

होश तिर्मिज़ी

 दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे
 अब तो ये दर्द की सूरत ही दवा हो जैसे.

अकबर हैदराबादी

 दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से
 कैसी तन्हाई टपकती है दर ओ दीवार से.

कालीदास गुप्ता रज़ा

 ख़िरद ढूँढती रह गई वजह-ए-ग़म
 मज़ा ग़म का दर्द आश्ना ले गया.

फ़ारूक़ बाँसपारी  

 ग़म-ए-इश्क़ ही ने काटी ग़म-ए-इश्क़ की मुसीबत
 इसी मौज ने डुबोया इसी मौज ने उभारा.

फ़ना निज़ामी कानपुरी

 ग़म से नाज़ुक ज़ब्त-ए-ग़म की बात है
 ये भी दरिया है मगर ठहरा हुआ.

क़मर मुरादाबादी

 ग़म की तौहीन न कर ग़म की शिकायत कर के
 दिल रहे या न रहे अज़मत-ए-ग़म रहने दे.

शकील बदायुनी

 ग़म की दुनिया रहे आबाद 'शकील'
 मुफ़लिसी में कोई जागीर तो है.

साहिर लुधियानवी

 ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
 मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया.


लोकप्रिय ग़म पर बनी शायरी का संग्रह  - Collection Of Gham Shayari 

कोई टिप्पणी नहीं: