कश्ती पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Kashti Shyari
कश्ती पर बनी शायरी का संग्रह |
उस ना-ख़ुदा
के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ
कश्ती मिरी
डुबोई है साहिल के आस-पास
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हसरत मोहानी
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कश्तियाँ
डूब रही हैं कोई साहिल लाओ
अपनी आँखें
मिरी आँखों के मुक़ाबिल लाओ
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जमुना प्रसाद राही
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कश्ती-ए-ए'तिबार तोड़ के देख
कि ख़ुदा
भी है ना-ख़ुदा ही नहीं
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फ़ानी बदायुनी
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चमक रहा
है ख़ेमा-ए-रौशन दूर सितारे सा
दिल की
कश्ती तैर रही है खुले समुंदर में
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ज़ेब ग़ौरी
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अच्छा यक़ीं
नहीं है तो कश्ती डुबा के देख
इक तू ही
नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है
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क़तील शिफ़ाई
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कश्ती चला
रहा है मगर किस अदा के साथ
हम भी न
डूब जाएँ कहीं ना-ख़ुदा के साथ
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अब्दुल हमीद अदम
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सरक ऐ मौज
सलामत तो रह-ए-साहिल ले
तुझ को
क्या काम जो कश्ती मिरी तूफ़ान में है
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मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
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कभी मेरी
तलब कच्चे घड़े पर पार उतरती है
कभी महफ़ूज़
कश्ती में सफ़र करने से डरता हूँ
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फ़रीद परबती
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अगर ऐ नाख़ुदा
तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है
इधर कश्ती
न ले आना यहाँ पानी बहुत कम है
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दिवाकर राही
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मैं कश्ती
में अकेला तो नहीं हूँ
मिरे हमराह
दरिया जा रहा है
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अहमद नदीम क़ासमी
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कश्ती पर बनी शायरी का संग्रह - Collection OF Kashti Shyari
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